कोरोना से लोहा लेता मधुबनी मास्क
सुनिता
कुमारी ' गुंजन'
विश्व आज कोरोना संकट से आतंकित है। अब तक कोविड की कोई दवा या वैक्सीन तैयार नहीं किया जा सका है। दुनिया के बड़े- बड़े प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन तैयार करने के लिए दिन रात प्रयास कर रहे हैं। जब तक इसकी वैक्सीन या कोई कारगर दवा तैयार नहीं हो जाती तब तक इस बिमारी से बचाव का एक महज़ उपाय इसके संक्रमण की रोकथाम करना है। कोविड के संक्रमण को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ- साथ दुनिया के सभी देशों ने अपने नागरिकों के लिए गाइड लाइन जारी किया है। इन गाइड लाइनों में सामान्य रूप से लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने के दौरान मास्क लगाने को कहा गया है ताकि हवा में मौजूद कोरोना वायरस से लोग संक्रमित ना हो सकें या फिर किसी अन्य व्यक्ति से बातचीत के दौरान वे एक दूसरे को संक्रमित न कर सकें।
हमारे देश में भी डाक्टर एवं प्रशासन की
ओर से लोगों को कोविड से बचने के लिए मास्क लगाने की सलाह दी गई है परन्तु लोगों
द्वारा इसका अनुपालन नहीं किये जाने के कारण कई स्थानों पर प्रशासन द्वारा सख़्त
रवैया अपनाना पड़ा है। लोगों में मास्क का चलन बढ़ाने के लिए सरकार एवं प्रशासन
द्वारा कई प्रयास किए गये हैं।। हमारे देश के प्रधानमंत्री मास्क का इस्तेमाल करने
के लिए समय- समय पर देशवासियों से अपील करते रहे हैं। इन सारे प्रयासों और कोरोना के बढ़ते मामलों के
कारण आम लोगों ने मास्क के महत्व को समझकर इसे धारण करना शुरू किया है परंतु लोगों
में मास्क का चलन बढाने का एक बड़ा कारण डिजाइनर और आकर्षक मास्क का बाजार में
प्रवेश भी रहा है। इन डिजाइनर मास्क में मधुबनी मास्क की बड़ी भूमिका है। मधुबनी
जिले के गाँवों में महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार किए गये ये
मास्क मधुबनी पेंटिंग से सजे होते हैं और अत्यंत आकर्षक दिखते हैं साथ ही इनकी
क्वालिटी भी अच्छी होती है। इस कारण ये आम लोगों के फैशन का हिस्सा बन गये हैं। ये
बाजार में सिंगल, डबल
एवं ट्रिपल लेयर के रूप में उपलब्ध हैं। एक ओर ये मास्क लोगों की स्वास्थ्य को
सुरक्षा प्रदान करते हैं तो दूसरी ओर उस क्षेत्र की पुरानी धरोहर,
मधुबनी
पेंटिंग का प्रचार- प्रसार भी करते हैं। इसके अतिरिक्त ये कोरोना आपदा के कारण
उत्पन्न मंदी के दौर में वहाँ के लोगों विशेषकर गरीब महिलाओं को रोजगार का अवसर भी
प्रदान कर रहे हैं जिस कारण उनकी अच्छी कमाई हो रही है। 26
जुलाई को 'मन
की बात' कार्यक्रम
में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मधुबनी के इन महिला स्वयं सहायता समूह की
महिलाओं के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया है। सरकारी मदद से
बैंकों से आसान ब्याज दरों पर ऋण पाकर यहाँ के स्थानीय कारीगर ऐसे मास्क का
निर्माण कर उसे समूचे देश और विदेशों तक पहुँचा रहे हैं। मास्क निर्माण के कार्य
को सरकारी स्तर पर भी प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। कई सरकारी विभागों द्वारा ऐसे
मास्क की खरीदारी की गई है जिससे मास्क निर्माण के कार्य को सहायता और प्रोत्साहन
प्राप्त हुआ है। सोशल मीडिया ने मधुबनी मास्क को दुनिया भर में पहुँचाया है और
इसकी मांग बढाई है। इस मास्क की खरीद- विक्री आनलाइन भी किया जा सकता है। ऐसे
डिजाइनर मास्क के बाजार में आने से लोगों ने मास्क लगाने की आदत को सहजता से
अपनाया है जिससे उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा
बढ़ी है और कोविड के संक्रमण की रोकथाम को गति मिलने की उम्मीद जगी है। विदेशों
में भी मधुबनी मास्क की मांग अधिक है। केन्द्र और राज्य सरकार समय - समय पर मधुबनी
पेंटिंग के संरक्षण एवं विकास के लिए कलाकारों को प्रोत्साहित करती रही है। राज्य
और केन्द्र स्तरीय प्रदर्शनी में ये कलाकार अपनी पेंटिंग को शामिल करते हैं।
उम्मीद है आने वाले दिनों में मधुबनी
पेंटिंग से सुसज्जित ये मधुबनी मास्क परंपरागत मधुबनी पेंटिंग के प्रचार और प्रसार
के साथ- साथ मास्क निर्माण के क्षेत्र में भारत को एक नई मुकाम दिलाने में अपनी
महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और कोरोना संकट के इस मुश्किल दौर में कोविड से लोहा
लेते हुए इसके संक्रमण को नियंत्रित कर सकने में सफलता पाएंगे।
(लेखक
के अपने विचार हैं)
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