अषाढ़ के बादल
कौन संदेशा लेकर आये
ओ, अषाढ़ के पहले बादल।
सच मुच क्या तुम मेघदूत हो
या छलिया हो छलने वाले
या कि अटरिया के ऊपर से,
तुम हो मात्र गुजरने वाले
तुम्हे देखकर पूछ रहा मन,
कब थिरकेगी बरखा पायल।
भीगे भीगे तट क्षिप्रा के
लहरों की पीड़ा शाकुन्तल
जाने कब से करें प्रतीक्षा,
सुधि में वचनों का बिता कल
भूल गए क्या चकाचौंध में,
गांव सुहाना छाया सनदल।
मति दुष्यंती लगे तुम्हारी
पल छिन दूभर लगता जीना
झिलमिल होता है मुंदरी में,
निशा निमंत्रण प्रीत नगीना
क्या फिर सूखा सावन होगा,
या बूंदों से भीगा आंचल।
रिमझिम चाहत पर कसने को
व्याकुल हैं रेशम के झूले
सोधी माटी की खुशबू फिर,
पैंग भरे अम्बर को छूले
नयनों में सौगंध सहेजे,
मचल रहा है प्यासा काजल।
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सत्येन्द्र तिवारी लखनऊ
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