
पटना के दक्षिणी क्षेत्र में नई आबादी भारी तादाद में बस गई, लेकिन न तो सीवरेज के लिए नाला सही तरीके से बना है और न ही बरसाती पानी की निकासी की कोई व्यवस्था की गई है। सितंबर 2019 की तीन दिनों की बारिश में हजारों मकान 6 फुट से अधिक पानी में डूब गए। लाखों लोगों को अपनी जान बचाने के लिए अपने या पड़ोसी के मकान की ऊपरी मंजिल पर बोरिया-बिस्तर लाना पड़ा। सैकड़ों लोग घरों की छत पर खुले आसमान के तले पॉलिथिन का टेंट बना कर रहे।
जलजमाव से मचे हाहाकार के बाद विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया। इसकी रिपोर्ट में नाला के जाम होने के साथ ही उनके लिंकअप में लापरवाही और सीवरेज क्षतिग्रस्त होने के साथ ही संप हाउस में भी विभिन्न तकनीकी परेशानियों का जिक्र किया गया। रिपोर्ट के बाद शुरू हुई तत्कालिक और लंबी अवधि की घोषणाएं, लेकिन आधा जून बीतने के बावजूद जमीनी स्तर पर कहीं काम नहीं दिख रहा। दैनिक भास्कर के साथ सोशल ऑडिट के लिए निकली टीम को यही नजर आया।
ऑडिट करने वाली टीम में एनआईटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजय कुमार, साइंस कॉलेज के प्रोफेसर शंकर कुमार, बिहार राज्य जल पर्षद के पूर्व पीआरओ राजीव, आरटीआई एक्टिविस्ट योगेश कुमार गुप्ता, पटना सिविल सोसाइटी के सचिव डॉ. अशोक कुमार और पिछले जलजमाव में बुरी तरह प्रभावित (प्रताड़ित) लोग शामिल हुए।
दैनिक भास्कर की ओर से मुख्य संवाददाता राकेश रंजन, संवाददाता राहुल पराशर, शशि सागर व आलोक द्विवेदी ने इस टीम से समन्वय किया। विशेषज्ञ दल ने रामकृष्णा नगर, यमुना कॉलोनी, सैदानीचक, जगनपुरा, महावीर कॉलोनी, सरिस्ताबाद, श्री कृष्णा नगर, पटना कॉलोनी सहित एक दर्जन कॉलोनियों में जायजा लिया और साफ कहा कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी पानी निकासी के लिए उपाय नहीं किया गया है। औसत बारिश भी हुई तो यहां जलजमाव संकट बनेगा।
ठीक से उड़ाही नहीं, बहाव भी बंद
बादशाही पईन की उड़ाही ठीक तरह से नहीं हुई है। रामकृष्णानगर चौराहे के पास स्थित मंदिर के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के नाले को भी जोड़ा नहीं गया है। इस कारण बेऊर से होते हुए गंदा पानी बादशाही पईन तक नहीं पहुंच रहा है। लिंकअप किया भी गया तो फिलहाल गाद भरे होने और लेवल उल्टा होने के कारण सही बहाव नहीं होगा। फिलहाल गंदा पानी स्थिर है।
दबाव बढ़ने पर यह पानी बादशाही पईन की जगह बेऊर और दूसरे आवासीय इलाकों में बह रहा है। नाले की ऊंचाई सड़क से अधिक है। सड़क का स्लोप भी नाले की ओर नहीं, बल्कि सड़क के बीच में है। लोगों ने मकान के सीवरेज पाइप को खुद ही नाले से लिंकअप करने के चक्कर में जगह-जगह नालों को क्षतिग्रस्त कर दिया है।
पंप नहीं हुए ऊंचे, नाले नहीं बदले
बेऊर संप हाउस में चार पंप ही हैं। दो मोटर की क्षमता 25 एचपी, एक की 32 और एक की क्षमता 75 एचपी है। इसके बाद भी यहां एक साल से दो मोटर खराब हैं। बेऊर के आसपास के इलाकों के पानी की निकासी 25 और 32 एचपी के मोटर से की जाती है। सितंबर की त्रासदी के बाद संप हाउस में मोटर की ऊंचाई बढ़ाने के लिए योजना बनाई गई थी, लेकिन कुछ किया नहीं गया।
नालों के साथ भी यही हाल है। बेऊर से बादशाही पईन नाले के पक्के और कच्चे, दोनों ही हिस्से पर कब्जा है। रामकृष्णा नगर में नाले की जगह पर धर्मस्थल है। जगह-जगह पर लोगों ने नाले में मिट्टी भरकर आने-जाने का स्लोप तैयार कर लिया है। कुछ नहीं सुधारा गया।
मिट्टी भरकर लोगों ने किया कब्जा
बादशाही पईन से 70 फीट सड़क तक बाइपास के दक्षिण में पक्का नाला बना है। उसके बाद नाले की शक्ल कच्ची हो गई है। उत्तर की तरफ कच्चे नाले का निर्माण मीठापुर बस स्टैंड से 90 फीट रोड तक किया जा रहा है। दक्षिण तक बने नाले का लिंकअप कई जगहों पर ब्रेक है। इसकी वजह से पानी का बहाव बादशाही पईन तक सही तरीके से नहीं हो रहा है। नाले से कई बार ओवरफ्लो होकर गंदा पानी सड़क और आसपास की कॉलोनियों में बहने लगता है। 70 फीट के बाद नाला कच्चा हो गया है, जिसमें लोगों ने मिट्टी भर कर कब्जा कर लिया है।
रामकृष्णानगर के आसपास बने नाले में स्लोप का ध्यान नहीं रखा गया है। ऐसे में कई जगह पानी का बेऊर से रामकृष्णा नगर की जगह उलटा बहाव हो रहा है। लगभग दस फीट चौड़े इस नाले को जहां बादशाही पईन में मिलना है, वहीं इसकी चौड़ाई दो फीट हो गई है। मानसून से पहले निर्माण कार्य पूरा होने का दावा किया जा रहा था, लेकिन निरीक्षण के दौरान नाला बनाने के लिए खुदाई चलती दिखी। खुदाई भी बगैर प्लॉनिंग के हो रही है।
नमामि गंगे का काम पूरा नहीं हुआ तो होंगे कई हादसे
अन्य इलाकों की तरह ही इधर भी नमामि गंगे परियोजना का काम आधा-अधूरा है। बेऊर ट्रीटमेंट प्लांट एवं सीवरेज नेटवर्क की योजना को चार साल बाद अप्रैल 2020 में पूरा करना था, लेकिन काफी काम हुआ ही नहीं है। कंपनी ने पाइप डालने के लिए पहले से बने सीवरेज और सड़क की खुदाई कर दी है। पाइप डालने के बाद अधिकतर जगहों पर क्षतिग्रस्त नाले को फिर से नहीं बनाया है। जहां बनाया, वहां उसका लिंकअप भी बड़े नाले से नहीं किया है।
हालत याद कर सिहर रहे, टूट गई थी हिम्मत
पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र प्रसाद बेऊर के हाल से हमेशा परेशान रहते हैं। कहते हैं कि इलाके में जलजमाव की स्थिति तो हर साल बनती है, लेकिन, पिछले साल की स्थिति याद कर घर-पड़ोस के सारे लोग सिहर जाते हैं। यह बहुत बड़ी आपदा की घड़ी थी। जलजमाव की इस समस्या को दूर करने में या तो विभाग सक्षम नहीं है या फिर इसे दूर करना ही नहीं चाहता है।
वार्ड पार्षदों में असंतोष : समाधान कुछ नहीं किया
वार्ड 11 के पार्षद रवि प्रकाश कहना है कि नाले की उड़ाही तो हुई है, लेकिन पूरी तरह से अभी तक साफ नहीं हो पाया है। सारे संप हाउस की ऊंचाई भी नहीं बढ़ाई गई है। अधिकतर काम अधूरे हैं। वार्ड 17 की पार्षद मीरा देवी कहती हैं कि नाला उड़ाही दस फीसदी मुहल्लों में नहीं हो पाई है। एजेंसी के भरोसे पूरा काम छोड़ दिया गया है। बाइपास सिपारा के किनारे लोगों का जीना मुहाल है।
मेयर वही दुहरा रहीं : ड्रेनेज नहीं है, मशीन लगवाएंगे
मेयर सीता साहू ने कहा कि बाइपास के दक्षिणी इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। यहां जगह-जगह पर कच्चे नाले खोदकर लोगों को जलजलमाव से निजात दिलाने की कोशिश की जाएगी। सुपरसकर मशीन भी लगाई जाएगी, ताकि पानी को जमने से रोका जा सके। अस्थाई नालों को स्थाई बनाने की कोशिश की जाएगी, इसके लिए योजना तैयार कर नगर विकास विभाग को हमलोग भेजेंगे।
नगर आयुक्त विकल्पहीन : पोर्टेबल पंप चलवाएंगे
नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा कहना है कि बाइपास के दक्षिणी इलाकों के लिए भी इस बार पोर्टेबल पंप की व्यवस्था की जाएगी। 100 पोर्टेबल पंप तैयार रखा जाएगा, जिसे जरूरत के अनुसार पूरे पटना में लगाया जाएगा। बाइपास के दक्षिणी इलाके पर नजर है। किनारे के नालों की सफाई व कच्चे नालों की खुदाई जरूरत अनुसार की जा रही है।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/in-patna-where-thousands-of-houses-were-submerged-in-6-feet-of-water-to-save-it-do-not-add-drains-improve-the-slopes-leave-them-in-the-same-condition-127414607.html
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