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कातिल से डरे भगवान

कातिल से डरे भगवान 


गिरीन्द्र मोहन मिश्र ,फ़ोटो जर्नलिस्ट ,जी.एम.ईस्टेट


कातिल से भगवान भी डरते, 
सब कुछ देखते चुप ही रहते,
कातिल का जो  साथ हैं  देते,
अपना वो  सर्वनाश ही करते.

कातिल का है साथी  बहुत, 
उसकी तारीफ़ करते  बहुत, 
कातिल रूप बदलता बहुत,
कत्ल पूर्व मुस्कुराता  बहुत .

स्वार्थ से  वह  खूब  वशीभूत,
खुद को कहता  त्यागी  बहुत,
कुछ  दिनों  तक  शांत  रहता, 
फिर कत्ल वो जम कर करता.

कत्ल कर वो  मौन  हो  जाता, 
कुछ दिनों बाद सामने  आता,
पहले वो चेहरा निर्दोष बनाता,
फिर टेशुआ  वो  खूब  बहाता. 

खाली ताली बेजोड    बजाता, 
जगह जगह  पर  रंग  बदलता, 
झूठ बोल सबका मन बहलाता,
खुद को वो  फकीर ही  कहता. 

जी.एम.उसका रग  रग जानता,
जो भी उस पर  विश्वास  करता,
उसका कत्ल वह  पहले  करता,
दया धर्म से वो नहीं नाता रखता.

कुछ  को  भोंपू  बना कर रखता, 
नफ़रत  की  बात  खूब  फैलाता,
पहले लोग गफ़लत में आ जाता,
बाद में  मूर्ख बन खूब  पछताता.

चारों ओर जब हाहाकार मचता,
भोंपू उसका खूब जयकार करता,
भक्तजन इसे चमत्कार है कहता, 
भद्रजन इसका प्रतिकार  करता. 
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