विलक्षण प्रतिभा की धनी आयुषी जिसके संस्कृत सुरों में बसते हैं नटराज के गीत
आलेख:-गीता चौबे
जी हाँ संस्कृत में सुरों का सरगम I जहाँ आज
के बच्चे संस्कृत पढ़ना नहीं चाहते I जहाँ अपने हीं देश में
संस्कृत विलुप्त होता जा रहा है I क्योंकि सरकारों ने
संस्कृत को राजनीतिक षड़यंत्र के तहत विलुप्त करने का ठान लिया है I संस्कृत प्राचीनतम वैदिक भाषा है इसे देव वाणी के रूप में भी जाना जाता है
I लेकिन इस वेद भाषा के साथ कुत्सित राजनीति छद्म मनुवाद के
नाम पर होता है I देश में राजनीत पोषित
एक षड़यंत्र चल रहा है कि संस्कृत को ख़त्म किया जाय I जबकि
विदेशों के अनेकों मुल्क इसपर शोध कार्य कर रहे हैं और इसके संवर्धन में लगे हुए
हैं I जर्मनी फ़्रांस इत्यादि देशों में तो भारत से ज्यादा
संस्कृत के संरक्षण पर काम हो रहे हैं I लेकिन चुकि संस्कृत
ब्राह्मणों के जीन में ज्यादातर रचा वशा है और ब्राह्मणों के कारण ही आज इसका
अस्तित्व जीवित है इसलिए भी इसके साथ राजनीतिक खेल जारी है I
भारत में राजनीतिक कुचक्र के कारण इसको विलुप्त किया जा रहा है I
संस्कृत के प्रति अरुचि पैदा कर इस वैदिक
भाषा को येन केन प्रकारेण ख़त्म किया जाय यहीं यहाँ के सरकारों का राजनीतिक खेल हो
रहा है I उनके अनुसार जिसपर केवल ब्राह्मणों का ही अधिकार है
उस वैदिक भाषा को क्यों नहीं इसकी उपेक्षा कर समाप्त कर दी जाय I लेकिन वास्तविकता तो यह है कि यह कठिन भाषा है जिसको अन्य जातियां पढ़ना
हीं नहीं चाहती है I इसलिए सारे की दूषित मानसिकता के
दुष्परिणाम के कारण आज संस्कृत सनातन संस्कृति से समृद्ध भारत में हीं विलुप्त हो
रहा है I
विलक्षण प्रतिभा की धनी आयुषी का जन्म 2004 में देवघर में हुआ I
उसके पिता का नाम अरुण चरण मिश्रा तथा माता का नाम श्रीमती साजला
मिश्रा है I डीएवी पब्लिक स्कुल भंडार कोला,सातर की वह 11 वीं की छात्रा है I अब तक यह
डिस्ट्रिक्ट लेवल में प्रथम स्थान, स्टेट लेवल में प्रथम
स्थान, क्षेत्रीय लेवल में द्वितीय स्थान, नेशनल लेवल में चतुर्थ स्थान, राज्यस्तरीय
प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान सहित अनेक अवसरों पर इसने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर
ईनाम और पदक हांसिल किये हैं I इसकी पसंदीदा गायिका
लता मंगेशकर,श्रेया घोषाल, नेहा ककर और
पसंदीदा गायक अरिजीत हैं I
पढ़ाई के बाद फुर्सत के समय में ये संगीत और नृत्य सीखती हैं और रियाज करती हैं I इनकी भविष्य की योजना है कि ये गायिका या आईआईटीएन बनें I संस्कृत में गीत गाने की प्रेरणा इनको लक्ष्मीपुर चौक स्थित बैध्य्नाथ संस्कृत पुस्तकालय से मिली I इनके गुरूजी पंकज झा हैं I
प्रतिभा की धनी 11 वीं छात्रा
आयुषी जब संस्कृत में गाना गाती हैं तो लोग भौंचक रह जाते हैं I आयुषि हिंदी फिल्म के गानों को संस्कृत
में गाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाती हैं I यह झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य
स्तरीय कला उत्सव में हिस्सा लेकर वहां से इसने पॉपुलर हिंदी गानों का
संस्कृत वर्जन गाकर सबको मदहोश
कर दिया था I फिर क्या था उसके बाद उसका सफ़र आगे बढ़ गया I
इसने 'ऐ
मेरे वतन के लोगों...' के 8 मिनट के गीत को संस्कृत में अनुवाद किया है और संस्कृत में इसकी बेजोड़
गायकी से सबको मोह लिया है I आज संस्कृत के प्रति उसका प्रेम
देखते ही बनता है I आयुषी संस्कृत में एक मुकाम हासिल
करना चाहती है I यही वजह है कि वह सभी गानों को संस्कृत में
गाती है I आयुषी संस्कृत के रास्ते ही चलकर लता मंगेश्वर और
नेहा कक्कड़ को अपना आदर्श मानते हुए सिंगर बनना चाहती है I आयुषी
के माता-पिता भी उसके सपनों के साथ हैं I उनके अनुसार आयुषी का संस्कृत के प्रति प्रेम बचपन से ही रहा है I
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