-------------------------
सपने पैदल चलते -चलते
थक कर चकनाचूर हुये
कभी नहीं देखा दुनिया में
जितने यह मज़बूर हुये
पथ में दम निकली कितनों की
घायल सब मज़दूर हुये
कितनों की है रोटी छीनी
तुम कितने मगरूर हुये
रहे प्रगति का ढ़ोल बजाते
अपने मुख ही हूर हुये
टी.वी.अखबारों में सत्ता
के वादे भरपूर हुये
पैकेज हैं सब हवा-हवाई
चंदा मामा दूर हुये
उड़ी धज्जिया लाक्डाउन की
मद में चढ़े सुरूर हुये
पानी माँग रहे हैं सब जन
आप कंस से क्रूर हुये
दुनिया भर में धाक जमाये
तुम झूठे मशहूर हुये
**
~जयराम जय,
पर्णिका,11/1,कृष्ण विहार
कल्याणपुर कानपुर-208017(उ.प्र.)
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com