अज्ञातवास को कैसे काटें?
-मिथिलेश कुमार मिश्र 'दर्द'
सोच रहा, अज्ञातवास को
कैसे काटें हमसब?
काम्यक वन में
रहे अभीतक,
जाकर कहाँ रहें
अब?
सबसे कठिन कार्य
लगता,
कृष्णा को कहीं
छिपाना।
मेरे भाई,तुमको ही है
बेड़ा पार लगाना।
कृष्णा को लेकर
चिन्ता की
कोई बात नहीं है।
धर्मराज, उसकी जैसी क्या
नारी और कहीं है?
उसकी अद्भुत
क्षमता को
हैं जान नहीं
क्यों पाये?
याज्ञसेनी को
अबतक
पहचान नहीं क्यों
पाये?
अगर आग की ज्वाला
है तो,
है वह शीतल जल
भी।
अगर वज्र-सा है
कठोर तो,
फूलों-सा कोमल
भी।
नहीं समस्या कभी
बनेगी,
इसीलिए मैं कहता।
वैसे तो,उसका अन्तर है
हरदम दहता रहता।
राजा विराट के
राज्य में जाकर
आप सभी रह सकते।
साथ रहेंगे अगर
सभी,तो
सबकुछ हैं सह
सकते।
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