राष्ट्र का सम्मान करना चाहिए,
निज धरा का मान करना चाहिए।सीखिये भाषाएँ बोली सारे विश्व की,
मातृभाषा पर अभिमान करना चाहिए।
मातृ भाषा संस्कृति का मूल है,
राष्ट्र भाषा गौरव के अनुकूल है।
जिसे न गर्व राष्ट्रभाषा-मातृभाषा पर,
वह मनुष्य राष्ट्र के प्रतिकूल है।
हिन्द की राष्ट्र भाषा हिंदी की बात हो,
तमिल, मलयालम, कोंकण का साथ हो।
बोलियाँ हमारी संस्कृति को समृद्ध करें,
सभी राजभाषाओं पर भी हमें नाज हो।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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