निर्भीक पत्रकारिता करते हैं जितेन्द्र कुमार सिन्हा - जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिया सम्मान
दिव्य रश्मि के उपसम्पादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से


हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (रजि०) द्वारा जितेन्द्र कुमार सिन्हा को सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति को, बल्कि उस मूल्य आधारित पत्रकारिता को समर्पित है, जो आज भी ईमानदारी, निष्ठा और समाज के प्रति उत्तरदायित्व के मूलमंत्र पर टिकी हुई है।
बिहार राज्य के पटना जिला से ताल्लुक रखने वाले जितेन्द्र कुमार सिन्हा एक वरिष्ठ और प्रखर पत्रकार हैं। उन्होंने पत्रकारिता को केवल पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन के रूप में अपनाया है। वर्षों से वे न केवल राज्य स्तर की जनसमस्याओं को उजागर कर रहे हैं, बल्कि JKSinha.in न्यूज पोर्टल के माध्यम से उन समस्याओं को शासन- प्रशासन तक प्रभावी ढंग से पहुंचा भी रहे हैं।
कोई पत्रकार अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर न सिर्फ सत्य को सामने लाता है, बल्कि बदलाव का माध्यम भी बनाता है, तो वह विशेष सराहना का पात्र होता है। ऐसा ही एक नाम है- जितेन्द्र कुमार सिन्हा।
उनका लेखन जनमानस की गूंज बनकर सत्ता के गलियारों तक गूंजता है। जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया, एक प्रतिष्ठित संस्था है जो पत्रकारों के हक, जिम्मेदारी और उनके काम को मान्यता देने के लिए काम करती है।
जितेन्द्र कुमार सिन्हा की पत्रकारिता की विशेषता यह है कि उनकी लेखनी किसी राजनीतिक, जातीय या वैचारिक पक्षपात से परे रहता है।
इस सम्मान समारोह में कई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही है। डॉ. अनुराग सक्सेना (राष्ट्रीय अध्यक्ष), सादाब आब्दी (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), डॉ. दानिश जमाल (राष्ट्रीय महासचिव) और डॉ. आर सी श्रीवास्तव (राष्ट्रीय संयोजक) ने जितेन्द्र कुमार सिन्हा को इस सम्मान के लिए बधाई दी है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
उन सभी लोगों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि आज पत्रकारिता को जितेन्द्र कुमार सिन्हा जैसे लोगों की सबसे अधिक आवश्यकता है- “जो न बिकते हैं, न झुकते हैं, बस सच्चाई के साथ चलते हैं”।
आज मीडिया का बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट घरानों के अधीन हो गया है। कई चैनल और अखबार ‘प्रायोजित खबरों’ की होड़ में लगे हैं। ऐसे दौर में जितेन्द्र कुमार सिन्हा जैसे पत्रकार उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कलम को मिशन समझते हैं, न कि कमीशन।
जितेन्द्र कुमार सिन्हा का कार्य यह स्पष्ट करता है कि पत्रकारिता में केवल ग्लैमर या पेज 3 ही सब कुछ नहीं होता, वास्तविक सम्मान उन हाथों में जाता है जो थकते नहीं, झुकते नहीं।
जितेन्द्र कुमार सिन्हा का यह सम्मान पत्रकारिता के मूल्यों की जीत है। यह समाज को यह भरोसा दिलाता है कि आज भी ऐसे पत्रकार हैं, जो जनहित को सर्वोपरि मानते हैं। यह पुरस्कार उन सैकड़ों गुमनाम पत्रकारों को भी आशा देता है, जो संसाधनों की कमी के बावजूद अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। आज जब पत्रकारिता पर सवाल उठता है, तब जितेन्द्र कुमार सिन्हा जैसे लोग न सिर्फ सवालों का जवाब बनते हैं, बल्कि नई पत्रकारिता की दिशा भी तय करते हैं।
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