जनसंख्या वृद्धि का सबसे बुरा प्रभाव पर्यावरण पर: प्रेम कुमार

(विश्व पर्यावरण दिवस पर संगोष्ठी में उठी गंभीर चिंता)
पटना, 5 जून 2025:
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विश्व युवक केंद्र, दिल्ली और प्रेम यूथ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था—“जलवायु परिवर्तन और मानव अस्तित्व पर मंडराता संकट”। इस अवसर पर पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, युवाओं और शिक्षाविदों की सक्रिय उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रेम यूथ फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष और गांधीवादी विचारक प्रेम कुमार ने की। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि "आज जलवायु परिवर्तन केवल वैज्ञानिक विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह मानव अस्तित्व का संकट बन चुका है।" उन्होंने जनसंख्या वृद्धि को पर्यावरण पर सबसे गंभीर प्रभाव डालने वाला कारक बताया और कहा कि इससे प्राकृतिक संसाधनों पर असहनीय दबाव बढ़ गया है।
प्रेम कुमार ने कहा, “हिमालय के ग्लेशियरों का तेज़ी से पिघलना, वर्षा चक्र का बिगड़ना, महासागरों का गर्म होना और जैव विविधता का क्षरण—ये सब संकेत हैं कि हम अपनी ही जीवन प्रणाली को समाप्त करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।” उन्होंने जीवनशैली में बदलाव पर बल देते हुए कहा कि हमें केवल प्रतीकात्मक पौधारोपण से आगे बढ़ते हुए “धरती के प्रहरी” की भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान को बिहार के सभी जिलों में फैलाने की घोषणा करते हुए कहा कि यह सिर्फ पर्यावरण संरक्षण नहीं, अपितु भावनात्मक और सांस्कृतिक जागरूकता का भी प्रतीक बनेगा।
इस अवसर पर पर्यावरण विषयों के विद्वान और एनजीओ हेल्पलाइन के निदेशक मानसपुत्र संजय कुमार झा ने कहा कि “वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है। यदि हमने अभी भी ठोस कदम नहीं उठाए तो आने वाला समय मानवता के लिए विनाशकारी होगा।” उन्होंने बताया कि वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने हेतु 2050 तक 50% उत्सर्जन में कटौती अनिवार्य है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिर्फ सरकारों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होगा, प्रत्येक नागरिक को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर योगदान देना होगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि “एक पेड़ अवश्य लगाएं, प्लास्टिक का त्याग करें, जल एवं ऊर्जा संरक्षण करें और प्रकृति के अनुकूल विकास की राह अपनाएं।”
संगोष्ठी के मुख्य बिंदु इस प्रकार रहे:
जलवायु परिवर्तन से हिमालय क्षेत्र और ग्लेशियरों पर खतरा
पर्यावरणीय असंतुलन से कृषि संकट और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव
प्लास्टिक एवं पॉलिथीन के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान
युवाओं की भूमिका से पर्यावरणीय पुनरुत्थान की संभावनाएं
कर्नाटक जैसे राज्यों की पर्यावरणीय पहलों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता
संगोष्ठी के समापन पर एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें प्रेम यूथ फाउंडेशन द्वारा बिहार के प्रत्येक जिले में “युवा जलवायु प्रहरी क्लब” की स्थापना की घोषणा की गई। यह क्लब जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर जन-जागरूकता बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन को गति देने में सहायक होगा।
इस अवसर पर सुरेंद्र पासवान, अशोक दास, तूफानी पासवान, शंकर पासवान, मुकेश सिंह, मणि कुमार, और नीतिल कुमार ने भी विचार रखे और जलवायु संरक्षण की दिशा में युवाओं की भागीदारी पर बल दिया।
— रिपोर्ट: दिव्य रश्मि न्यूज ब्यूरो, पटना
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