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गंगा अवतरणोत्सव और पर्यावरण दिवस: सांस्कृतिक चेतना और स्वच्छता का संगम

गंगा अवतरणोत्सव और पर्यावरण दिवस: सांस्कृतिक चेतना और स्वच्छता का संगम

पटना । जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हिरिओम शर्मा के नेतृत्व में, संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार राज्य प्रभारी और जी-5 के सदस्य, निर्माण भारती ( हिंदी पाक्षिक ) के प्रबंध संपादक प्रख्यात साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने एक महत्वपूर्ण वक्तव्य जारी किया है। इस वक्तव्य में उन्होंने गंगा अवतरणोत्सव एवं पर्यावरण दिवस को मानव सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक चेतना और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बताया है। उन्होंने इस अवसर पर नदियों, सरोवरों में स्वच्छता अभियान चलाने और वृक्षारोपण कार्य करने का सुझाव दिया है। जीवनधारा नमामी गंगे बिहार की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राज्याध्यक्ष डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव ने भी गंगा दशहरा एवं पर्यावरण दिवस के अवसर पर जीवनधारा नमामी गंगे बिहार , राष्ट्रीय उपाध्यक्षों , सचिवों एवं राज्य उपाध्यक्षों , राज्य सचिवों , जिलाध्यक्षो , जिला महासचिवों , जिला सदस्यों तथा गंगा सेवियों से स्वच्छता अभियान और वृक्षारोपण करने का अनुरोध किया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा एवं विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 को मनाया जाएगा। माता गंगा के अवतरणोत्सव एवं विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर मां गंगा की पूजा-अर्चना और स्नान करने के साथ-साथ नदियों, सरोवरों के जल को स्वच्छ रखना और वृक्षारोपण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन शुभ कार्य करने से साधक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन के दुख और संकट दूर होते हैं। गंगा दशहरा को गंगावतरण के नाम से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी, प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, बक्सर और पटना इस पर्व के प्रमुख केंद्र हैं। इस पावन दिन पर नदियों और सरोवरों के किनारे फटे-पुराने कपड़े, टूटे-फूटे बर्तन और नुकीली चीजों का दान करने से बचना चाहिए। इसके बजाय, स्वच्छता के लिए नदियों और सरोवरों में स्वच्छता अभियान चलाने और वृक्षारोपण करने पर जोर दिया गया है। गंगा दशहरा पर गर्मी से राहत देने वाली चीजें जैसे जल, छाता, चप्पल और टोपी आदि का दान करना शुभ माना जाता है। हालांकि, इस दिन काले रंग की चीजों का दान करने से बचना चाहिए। गंगा अवतरणोत्सव का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण को बढ़ावा देना, इसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता को उजागर करना और स्वच्छता के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना है। यह कार्यक्रम का आठवां संस्करण होगा, जो गंगा और पर्यावरण के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को दोहराएगा।

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