पर्यावरण संरक्षण से ही जीवन संभव - सत्येन्द्र कुमार पाठक
जहानाबाद। विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) की पूर्व संध्या पर, जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार राज्य प्रभारी और जी-5 के सदस्य, निर्माण भारती (हिंदी पाक्षिक) के प्रबंध संपादक, साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि "पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन से ही जीवन संरक्षित है।" पाठक ने इस बात पर बल दिया कि नदियों और तालाबों के जल को स्वच्छ रखना और वृक्षारोोपण करना जीवन के संरक्षण के लिए आवश्यक है। प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। यह दिन न केवल पर्यावरणीय चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, बल्कि समाधानों की दिशा में सामूहिक कार्रवाई को भी प्रोत्साहित करता है। विश्व पर्यावरण दिवस की नींव 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्टॉकहोम, स्वीडन में आयोजित 'मानव पर्यावरण पर सम्मेलन' (यूनाइटेड नेशन्स कांफ्रेंस ऑन द ह्यूमन एनवायरनमेंट) के दौरान रखी गई थी। 5 जून, 1972 को आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य मानवीय गतिविधियों और पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों पर चर्चा करना था। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के ठीक एक साल बाद, 1973 में, पहला विश्व पर्यावरण दिवस "केवल एक पृथ्वी" की थीम के साथ मनाया गया, जिसने इस विचार को रेखांकित किया कि हमारे पास रहने के लिए केवल एक ही ग्रह है और हमें उसकी देखभाल करनी चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस का प्राथमिक उद्देश्य पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना है। यह दिन विभिन्न पर्यावरणीय चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है, जिनमें प्लास्टिक प्रदूषण, बढ़ती जनसंख्या का प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, वन्यजीव अपराध, वनों की कटाई और ओजोन परत का क्षरण शामिल हैं। यह दिन सरकारों, व्यवसायों, गैर-सरकारी संगठनों, समुदायों, राजनेताओं और प्रसिद्ध हस्तियों को एक साथ आकर पर्यावरणीय कारणों की वकालत करने और समाधान खोजने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक क्षेत्रीय या स्थानीय उत्सव नहीं, बल्कि एक सच्चा वैश्विक आंदोलन है। सालाना 143 से अधिक देश इस दिन भागीदारी करते हैं, जिसमें भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य राष्ट्र शामिल हैं।साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि नदियाँ और सरोवर के जल को प्रदूषित कर, अतिक्रमण कर और वृक्षों की कटाई कर मानव अपने जीवन को प्रकृति से खिलवाड़ कर स्वार्थपूर्ण कर रहे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस केवल एक वार्षिक उत्सव नहीं है, बल्कि एक शक्तिशाली अनुस्मारक है कि हम सभी को अपनी पृथ्वी और उसके बहुमूल्य पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए। यह दिन हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, स्थायी जीवन शैली अपनाने, पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने और एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है।
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