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झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस पर देशभर में श्रद्धांजलि समारोह, नई दिल्ली में हुआ विशेष आयोजन

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस पर देशभर में श्रद्धांजलि समारोह, नई दिल्ली में हुआ विशेष आयोजन

नई दिल्ली, पहाड़गंज।
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की अमर वीरांगना, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शहादत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारतीय जन महासभा द्वारा बुधवार को प्राचीन श्री विश्वकर्मा मंदिर, पहाड़गंज, नई दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बलिदान दिवस के इस अवसर पर देशभक्ति से ओतप्रोत माहौल में रानी के अद्वितीय योगदान को स्मरण किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्था के अध्यक्ष श्री धर्म चंद्र पोद्दार ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए झांसी की रानी के अदम्य साहस, संगठन क्षमता और राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा को याद किया। उन्होंने बताया कि 1857 की क्रांति का प्रारंभ 31 मई 1857 की प्रातः 11:00 बजे तय किया गया था, परंतु अत्यधिक उत्साह के चलते मेरठ में 10 मई को ही विद्रोह का बिगुल बज गया। इस असमय क्रांति के चलते व्यापक समन्वय नहीं बन पाया और परिणामस्वरूप यह संघर्ष सफल नहीं हो सका।
उन्होंने भावपूर्ण शब्दों में बताया कि 18 जून 1858 को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं, किंतु उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया।

पुष्पांजलि अर्पण एवं सहभागिता
कार्यक्रम के दौरान रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से श्री धर्म चंद्र पोद्दार के साथ-साथ संरक्षक श्री गंगादीन जांगिड़, राज कमल, कैलाश चंद्र जांगिड़, चंपालाल सुथार, शोभा पांडेय, गायत्री कनेरी समेत अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

देशभर में बलिदान दिवस की गूंज
नई दिल्ली के अलावा पूरे देश में अनेक स्थानों पर झांसी की रानी के बलिदान दिवस को बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इन कार्यक्रमों में समाज के विभिन्न वर्गों, स्कूलों, संस्थाओं एवं महिला संगठनों की सहभागिता देखी गई।

बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्य रूप से सुखेन मुखोपाध्याय, ओम प्रकाश अग्रवाल, विजय कुमार गोयल, दुर्गा मुखोपाध्याय, मेघाश्री मुखोपाध्याय, डॉ ऊषा भार्गव, लक्ष्मी छाबड़ा, सीमा त्रिवेदी, मधु भदौरिया, पूनम ढलवानी, मधु परिहार, पंकज शर्मा, अनिता यादव, अनीता झालीवाल, मुरारी लाल अग्रवाल, डॉ आर एस अग्रवाल, तथा कई विद्यालयों के शिक्षक और छात्र सम्मिलित रहे।

इन सभी आयोजनों का उद्देश्य भारत माता की अमर पुत्री रानी लक्ष्मीबाई के अद्वितीय योगदान को जन-जन तक पहुँचाना, देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करना तथा आने वाली पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायक कहानियों से जोड़ना रहा। संक्षेप में, झांसी की रानी का बलिदान दिवस इस वर्ष भी देशभर में उसी श्रद्धा, गौरव और प्रेरणा के साथ मनाया गया, जैसे वह वीरता, आत्मगौरव और मातृभूमि के प्रति समर्पण की मूर्तिमान प्रतीक थीं। उनका अमर बलिदान युगों-युगों तक देशवासियों को सच्चे राष्ट्रसेवा की प्रेरणा देता रहेगा।
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