यह होगा दशवां विश्व योग दिवस 21 जून 2025

- नौ वर्षों के थीम में निहित है व्यक्ति से लेकर विश्व समुदाय तक का हित चिंतन
- विश्व समुदाय हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना
ये दशवाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस होगा 21 जून 2025 को l बीते नौ वर्षो में योग दिवस को अधिकाधिक लोकोपयोगी बनाने के लिए थीम निर्धारित किये गये। 2015 से 2024 तक क्रमश: सद्भाव एवं शांति के लिए योग, युवाओं को जोड़े। स्वास्थ्य के लिए योग, शांति के लिए योग, पर्यावरण के लिए योग, घर में रहते हुए योग, घर पर परिवार के साथ योग, परिवार के साथ योग, मानवता के लिए योग, स्वयं और समाज के लिए योग योग दिवस का थीम रहा l
थीम के प्रति दृढ संकल्पित होकर हम सभी योग दिवस के सहभागी हो तो वैश्विक समावेशी भारतीय सभ्यता संस्कृति का सबसे मूल्यवान योग का ज्ञान, अभ्यास और वैराग्य विश्व समुदाय के बीच जन जन में आत्मसात होगा l स्वस्थ रहने की कला के रूप में योग सर्वग्राह्य होगा l
योग दिवस के थीम में निहित तत्वों पर विचार करने से जे निष्कर्ष समक्ष होता है तदनुसार अष्टांग योग में निहित है इन एक दशक में अब तक आयोजित योग दिवस के थीम की सार्थकता ।
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के बीते नौ वर्षों में निर्धारित थीम की सार्थकता पर योग दृष्टि से विचार करें तो योग मूलत: अनीश्वरवादी परिकल्पना पर आधारित एक ऐसा जीवन दर्शन है जो एक मनुष्य को ही दैवी गुणों से युक्त मानता है। स्वास्थ्य रक्षा से लेकर मृत्यु को जीतने तक का ज्ञान अभ्यास और वैराग्य है योग में।
योग के यम - अहिंसा, सत्य, अस्तेय,बद्धचर्य, अपरिग्रह और नियम - शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान का पालन करते हुए आसन प्रणायाम आदि के अभ्यास मात्र से जीवन में शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक शुद्धता आ जाती है l शरीर और मन की शक्ति प्रबल हो जाती है। आत्मवत सर्वभूतेषु की चेतना से सभी जीवों के प्रति आत्मीय भाव जागृत होता है। जीवन सद्भाव के सद्गुणो से युक्त हो जाता है l पूर्ण शांति और पूर्ण विश्राम योग के अभ्यास से स्वत: प्राप्त होती है।
युवाओं में काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, असूया आदि दुर्गुणों को जीतकर युवाशक्ति रक्षण, संवर्धन की चेतना चेतना स्वत: जागृत होती है यम नियम पूर्वक योग अभ्यास से l
स्वास्थ्य के लिए योग आरम्भिक प्रथम पद्धति है जो शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक/संवेगात्मक स्वास्थ्य के लिए अपेक्षित अचार, विचार आचरण व्यवहार का सम्यक मार्गदर्शन है। योग अभ्यास पाँचभौतिक(पृथ्वी जल, अग्नि, वायु, आकाश तत्व का) संतुलन बनाकर सम्मान्य मानव जीवन को दिव्य मानव बनाने के लिए अपेक्षित ज्ञान, अभ्यास ओर वैराग्य से जोड़ता है। सस्थ जीवन शैली का आत्म साक्षात्कार है योग में। योग में जीर्ण रोगों के कारण उत्पन्न शरीरस्थ पाँच भौतिक असंतुलन को संतुलित करके स्वस्थ बीवन जीने का अभ्यास है l
योग के अनुशासन में l ज्ञान अभ्यास और वैराग्य का श्रेय पूर्ण शान्ति और पूर्ण विश्राम को प्राप्त करना है। यह स्थिति तब बनती है जब शरीर, मन और आत्मा सभी प्रकार के दुःख, तनाव, असंतोष, क्षोभ, कुंठा चादि से मुक्त होने का अवसर प्राप्त करता है।
योग दृष्टि में मानव जीवन पाँचभौतिक होने से हमारा मानव जीवन पर्यावरण का अंश है। जिस प्रकार प्रकृति में वायु, जल, अग्नि, भूमि, आकाश आदि के प्रदूषण के प्रभाव से जलवायु परिवर्तन का संताप बढ़ा हुआ है। सम्पूर्ण प्रकृति की रक्षा और पोषण का कर्तव्य हमारे मानव जीवन से जुड़ा हुआ है।
शरीर में पांच भौतिक असंतुलन से शरीर और मन रोगग्रस्त होता है l रक्त, मज्जा, शुक्र, मल, मूत्र जल तत्व के इन पांच प्रकृतियों की जांच करके रोगों की प्रकृति निश्चित होती है l
योग के षटकर्म आदि विद्याओं सहित यम नियम पूर्वक आसाम प्राणायाम के अभ्यास से शरीर बाहर भीतर से शुद्ध होकर पाचभौतिक संतुलन की स्थिति को प्राप्त करता है l । जीर्ण से जीर्ण रोगी भी योग के आश्रय में नवजीवन प्राप्त कर सकता है l
पर्यावरण में संतुलन के लिए मानव और मानव समाज के बीच संतुलन अर्थात् रोगमुक्त और वैचारिक भेद मुक्त कातावरण का निर्माण आवश्यक है और इसके लिए सर्वोत्तम उपाय है योग ।
लॉक डाउन की विपदा आयी तो योग दिवस का थीम बना घर में रहते हुए योग । वह वर्ष पारिवारिक स्वास्थ्य के लिए कायाकल्प की अवधि थी l घर में रहते हुए योग भले ही लॉकडाउन का थीम हो किन्तु मानवीय वैयक्तिक पारिवारिक स्वास्थ्य एवं समुन्नति के लिए घर में रहते हुए योग से स्वस्थ तनावमुक्त पारिवारिक वातावरण स्वतः बन जाता है। घर के सदस्यों के बीच, सहजता, स्पष्टता बढ़ती है। उन्नतिका मार्ग प्रशस्त होता है। परिवार में स्वास्थ्य संस्कृति का संस्कार सभी सदस्यों को आत्मसात होता है।
उसके बाद के दो वर्ष 2021 और 2022 भी इसी से मिलता थीम था जिसका आशय था परिवार के साथ योग l आज भी देखा जाता है कि जिस परिवार में जितना सत्य, अहिंसा, अस्तेय, बुध-पर्य, अपरिग्रह जितना है वह परिवार आज भी उतना सुखी है, जितना कम है उस परिवार उतना ही दुःख है l परिवार में शौच, संतोष,तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान जितना है उतनी ही शुद्धता, प्रखरता उस परिवार के सदस्यों में होती है।
वर्ष 2023 में थीम रखा गया मानवता के लिए योग। यह विश्वकल्याण की भावना के अनुरूप थीम योग के भी अनुकूल है। इसलिए इस कि जब वैदिक ऋषियों ने ऋग्वेद में विश्व ग्राम को परिभाषित करते हुए कहा 'विश्वं पुष्टं ग्राम अस्मिन्नातुरम' मेरे विश्व ग्राम के सभी नागरिक स्वस्थ और पुष्ट हो कोई आतुर न हो अर्थात् किसी को कोई रोग दुख न हो, तब उसके लिए योगविद्या दी। इसलिए योग विश्व मानव समुदाय के लिए समान रूप से उपयोगी है। मानवता के सद्गुणों को आत्मसात करानेवाली विद्या होने से वर्तमान मे योग ही ऐसा जीवन दर्शन है जो सम्पूर्ण मानव मात्र के लिए समान रूप से उपयोगी है और सबके लिए अनुकरणीय, आचरणीय, पालनीय है।
२०२४ का थीम पहले महिला सशक्तिकरण के लिए योग, फिर योग दिवस से पहले थीम बदलकर स्वयं और समाज के लिए योग को थीम बनाया गया l
स्वयं और समाज के लिए आज योग इसलिए अनिवार्य है क्योंकि वैयक्तिक स्तर पर काम, क्रोध, लोभ आदि विकारों के कारण अनेकानेक शारीरिक एवं मानसिक रोगों के शिकार है अधिकांश लोग। उनमें योग चेतना जगाकर उन्हें योग अभ्यास से जोड़कर स्वस्थ बनाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने का संदेश लेकर आया योग दिवस l
दशवाँ विश्व योग दिवस होगा 21 जून 2025 l पिछले नौ वर्षों के थीम में व्यक्ति से लेकर विश्व समुदाय तक और गांव से लेकर सम्पूर्ण प्रकृति का हित चिन्तन निहित रहा है l किन्तु थीम सार्थकता के प्रति संवेदनशीलता केन्द्र, राज्य के सत्ता और शासन स्तर पर दिखी, न धर्म अध्यात्म एवं योग के क्षेत्र में दिखी न समाज के किसी लोक सेवी संस्थां के गतिविधियों में दिखी।
आईए योग के विश्व गुरुओं की भूमि बिहार से हम संकल्प लें l योग दिवस के थीम की सार्थकता सुनिश्चित करने के लिए अपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करें और एक मत से स्वीकार करें- कंचन काया निर्विकार मन l योग में सबका सुखमय जीवन ll
लेखक हृदय नारायण झा एक योग विशेषज्ञ एवं साहित्य साधक है |
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