कर भला तो हो भला
हवन करते अंग ना जल जाए हाथ दीजिए।सोच समझकर औरों का फिर साथ दीजिए।
कर भला तो हो भला भलाई भांप लीजिए।
नेकी कर कुएं में डाल नित इंसाफ कीजिए।
शुभ कर्म जीवन में सदा ही आप कीजिए।
बाधाओं का जोर कितना है माप लीजिए।
भर लो उड़ाने जितनी मंजिलें थाम लीजिए।
मेहनत की रोटी खा थोड़ा आराम कीजिए।
पुण्य सेवा कर्म है किसी का साथ दीजिए।
निर्बल का सहारा संबल दो हाथ दीजिए।
गिरने वाला ही संभलता है भान कीजिए।
नजरों से ना गिरना कभी यूं ध्यान दीजिए।
बढ़ते रहना ही जीवन है हाथ बढ़ा दीजिए।
रोशन चिरागों को जरा सौंधी हवा दीजिए।
मधुरता की बयार यहां थोड़ी बहा दीजिए।
याद करेगी सारी दुनिया कर्म यहां कीजिए।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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