कुदरत का वरदान है बेटियां
देश की पहचान होती बेटियां।
कुदरत का वरदान है बेटियां।
पढ़ लिख प्रतिभा दिखलाती।
मातपिता की शान है बेटियां।
घर की रौनक बहार है बेटियां।
लुटाती पावन प्यार है बेटियां।
महकाती घर संसार है बेटियां।
खुशियों का आधार है बेटियां।
सबको घर में खूब भाती बेटियां।
रिश्तो में मधुरता लाती बेटियां।
दीवारें देहरी आंगन है मुस्काता।
नाम रोशन कर जाती है बेटियां।
सपनों की उड़ान भरती बेटियां।
नये कीर्तिमान रचती है बेटियां।
ढलक जाते आंखों में भी आंसू।
जब डोली पर सजती है बेटियां।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्व रचित व मौलिक है
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