अब आँगन में नहीं चहकती

अब आँगन में नहीं चहकती

डॉ रामकृष्ण मिश्र
अब आँगन में नहीं चहकती
वह छोटी चिड़िया।।

वह फैलाव विचारों जैसा
कहीं नहीं दिखता।
आँगन गलियारे में मढ़ कर
जरा नहीं चिढ़ता। ।
बहुत हुए दिन नहीं उतरती
वह छोटी चिड़िया।।

उसके स्वाभिमान को शायद
चोट लगी होगी।
या ड्योढ़ी के बहसीपन में
खोट रही होगी।।
इसीलिए अब नहीं लहसती
वह छोटी चिड़िया।।

खिड़की दरबाजे में जाली
रोक रही है राह।
नहीं चाहती वह बेचारी
करना कोई टाह।।
मन मसोस अब नहीं उचरती
वह छोटी चिड़िया।।
रामकृष्ण

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