मुन्नी को स्कूल भिजवा दो

मुन्नी को स्कूल भिजवा दो

डॉ अजित कुमार पाठक

मुन्नी को स्कूल भिजवा दो

हटे तिमिर अज्ञान मान के

कटे धुंध आभा विहीन के

जले रोजनित ज्योति ज्ञान के

शाला में तू नाम लिखा दो

कहे न कोई अनपढ़ बाल

कभी झुके न तेरा भाल

बढे देश में कभी कही न

अंधविश्वासों का फैला जाल

कापी कलम दाबात मंगा दो

मुन्नी को स्कूल भिजवा दो

गायेंगें हम गीत प्रीत से

हटे कभी न पुरा रीती से

काटें कभी न गाँव भीठ से

जुटें सभी हम एक पीठ से

भारत का एक चित्र मंगा दो

मुन्नी को स्कूल भिजवा दो

बनेगी वो तो लक्ष्मी बाई

खायेगी वो दूध मलाई

उसका भैया नाना पेशवा

न्याय की वो लड़ें लड़ाई

देश प्रेम के गीत सुना दो

मुन्नी को स्कूल भिजवा दो

कन्या कुमारी से पहलगाँव तक

भुवनेश्वर से जलगाँव तक

पूरब पश्चिम दक्षिण उत्तर

पोरबन्दर से नवगाँव तक

भारत की एका का आज उसे

संदेश सुना दो

मुन्नी को स्कूल भिजवा दो
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