भारत की सामथ्र्य को जताने का अवसर

भारत की सामथ्र्य को जताने का अवसर

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
इसमें कोई संदेह नहीं कि आज वैश्विक मंच पर भारत का भी विशेष स्थान है। लगभग चार दशक में दुनिया के इतिहास ने बहुत बदलाव किये हैं। सोवियत संघ के बिखराव के साथ ही अमेरिका के साथ चल रहा शीत युद्ध लगभग खत्म हो गया। विश्व में अब कोई एक ऐसी महाशक्ति नहीं है जो किसी पर भी आंखें तरेर सके। पहले यह रुतबा अमेरिका को हासिल था। कई देशों ने मिलकर संगठन भी बनाए हैं लेकिन अब भी संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे संगठन को प्रभावी बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में द्रुतगति से विकास किया है। रक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से आत्मनिर्भरता की तरफ हम बढ़े हैं। इसके साथ चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी हमने दूसरे देशों की मदद की है। कोरोना जैसी महामारी के समय अमेरिका ने हमसे मदद मांगी थी, इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 दिसम्बर को संसद के दोनों सदनों में पार्टी नेताओं को भारत के विशेष दायित्व के बारे में बताया। भारत ने इसी महीने अर्थात् 1 दिसम्बर को विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 समूह की अध्यक्षता संभाली है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में इसका बड़ा योगदान रहता हैं। इस संगठन का भी उल्लेख करते हुए पीएम ने कहा कि हमें दुनिया को भारत की सामथ्र्य का परिचय कराना है। भारत और उसके लोकतंत्र का प्रतिविम्ब देश के सभी राजनीतिक दल और 130 करोड़ से ऊपर जनता भी है। इसलिए सभी को अपने-अपने दायित्व का उत्कृष्ट प्रदर्शन करना होगा। संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले निश्चित रूप से ज्यादा जिम्मेदार होंगे। उन्हंे यह सोचना होगा कि अमेरिका और फ्रांस के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत की जी-20 में अध्यक्षता से बड़ी-बड़ी अपेक्षाएं की हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के दोनों सदनों में पार्टी नेताओं से गत दिसम्बर को आग्रह किया कि वे सदन की कार्यवाही की सार्थकता बढ़ा और पहली बार चुन कर आये सांसदों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में अधिक से अधिक भागीदारी को सुनिश्चित करें। मोदी ने कहा संसद का ये सत्र आजादी के अमृत काल में हो रहा है। एक ऐसे समय में हम मिल रहे हैं जब हमारे देश को जी-20 की अध्यक्षता का अवसर मिला है। आज जिस प्रकार से भारत वैश्विक मंच पर अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है ऐसे में ये अध्यक्षता हमें मिलना एक बहुत बड़ा अवसर है। विश्व समुदाय में जिस प्रकार से भारत का स्थान और उससे अपेक्षा बढ़ी है, भारत वैश्विक मंच पर अपनी भागीदारी बढ़ाता जा रहा है। ऐसे समय जी-20 की मेजबानी मिलना एक बहुत ही बड़ा अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन कोई एक कूटनीतिक आयोजन मात्र नहीं है। यह एक समग्र रूप में भारत एवं उसके लोकतंत्र के सामर्थ्य को दुनिया को जताने का भी मौका है। पिछले दिनों सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात में इस बारे में चर्चा हुई है। उम्मीद है कि सदन में भी भारत की इसी भावना का प्रकटीकरण होगा। उन्होंने कहा कि इस सत्र में देश को विकास की नयी ऊचांइयों पर ले जाने और भारत को आगे बढ़ाने के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किये जाएंगे। यह प्रयास होगा कि सभी दल चर्चा में अपने विचारों से मूल्यवृद्धि करें, निर्णयों को नयी ताकत दें और दिशा को स्पष्टता से उजागर करने में मदद करें।

मोदी ने कहा मौजूदा लोकसभा का जितना कार्यकाल बचा है, उसके लिए वह सभी दलों के सदन के नेताओं से आग्रह है कि वे नये सांसदों को उनके उज्ज्वल भविष्य और भावी पीढ़ी को तैयार करने के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करें। सदन में हल्ला गुल्ला होने के कारण कार्यवाही स्थगित होती है तो उससे सांसदों का नुकसान होता है। ऐसे सांसदों ने उनसे मिल कर शिकायत की है कि इस प्रकार शोरशराबे एवं स्थगन से उन सांसदों का बहुत नुकसान होता है। वे जो सीखना समझना चाहते हैं, वह नहीं हो पाता है। विपक्ष के सांसदों का भी कहना है कि उन्हें बोलने का अवसर नहीं मिल पाता है जिससे उनका बहुत नुकसान होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह सदन में सभी पार्टी नेताओं से बहुत आग्रह से कहना चाहते हैं कि सत्र को बहुत उत्पादक बनाने का प्रयास करें। सांसद इस पर आचरण करें तो बेहतर है।

भारत को अमेरिका का ‘मजबूत’ साझेदार बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले दिनों कहा था वह भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान अपने मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने के लिए उत्सुक हैं. भारत की जी-20 की अध्यक्षता का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया। बाइडन ने कहा, ‘‘भारत अमेरिका का एक मजबूत साझेदार है, और मैं भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान अपने मित्र प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करने के लिए उत्सुक हूं। ’’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पूर्व कहा था कि भारत ‘‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’’ के विषय से प्रेरित होकर एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा. भारत आतंक, जलवायु परिवर्तन, महामारी को सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर सूचीबद्ध करेगा. इनका एक साथ मिलकर बेहतर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा था भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी रेखांकित किया कि दोनों देश ‘जलवायु, ऊर्जा और खाद्य संकट जैसी साझा चुनौतियों से निपटते हुए सतत और समावेशी विकास को आगे बढ़ाएंगे। राष्ट्र के प्रमुखों के स्तर पर अगला जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन नौ और 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित होने वाला है। जी-20 के अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र मोदी ने कहा कि मौजूदा विश्व भू-राजनीतिक तनावों, आर्थिक मंदी और खाद्यान्न व ऊर्जा की बढ़ी कीमतों से जू्झ रहा है। कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों से दुनिया पूरी तरह से उबर नहीं पाई है। मोदी ने कहा, तमाम कठिनाइयों से भरे दौर में भारत जी-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है। दुनिया हमारी तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। विश्वास दिलाना चाहते हैं, भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी और निर्णायक होने के साथ ही तेजी से काम करने पर केंद्रित होगी। पीएम मोदी को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 के 17वें शिखर सम्मेलन के दौरान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जी-20 की अध्यक्षता सौंपी थी हालांकि यह सांकेतिक तौर पर थी, आधिकारिक तौर भारत एक दिसंबर से अध्यक्ष बना है।
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