तीज में उलझन क्यों?
मार्कण्डेय शारदेय (ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र विशेषज्ञ)
कल तीज है, पर लोगों का तरह-तरह की बातें लेकर फोन आ रहा है।
1.प्रश्न- तीज तो आज दोपहर 2.38 से कल दोपहर 2.32 तक ही है तो सरगही क्या तृतीया में हो सकेगी?
उत्तर- एकदिवसीय कोई व्रत एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक का ही होता है।ऐसे में आज रात्रि के अन्तिम पहर में सरगही करना भी आज ही माना जाएगा।इसलिए जैसे सरहगही होती आई है, वैसे ही होगी।
2.प्रश्न- कल 2.32 तक ही तृतीया तिथि है।तो क्या इतने समय के भीतर ही पूजा कर लेनी है?
उत्तर- नहीं।ऐसा नहीं है।तृतीया के बाद चतुर्थी का आना भी अति उत्तम माना गया है।अतः जैसे पूजा होती आई है, वैसे करना दोष नहीं है।इसे गणेशविद्धा तृतीया कहा जाता है।
3.प्रश्न- क्या दवा लेकर व्रत किया जाएगा?उत्तर- किसी व्रत में बाल, वृद्ध और रोगी की छूट होती है।बाल का अर्थ अज्ञानी भी है।अतः अनजान में, रोगग्रस्त होने पर तथा बुढापा आने पर जितना सके, उतना ही करना दोष नहीं है।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
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