करण महारा को अहम दायित्व

करण महारा को अहम दायित्व

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • पुष्कर धामी को उपचुनाव में हराने वाले बीसी कापड़ा विधायक दल के उपनेता
  •  महारा ने 2017 मंे भाजपा के अजय भट्ट को हराया था
  • इस बार चुनाव में हार के कारण गणेश गोदियाल ने दिया था इस्तीफा

कांग्रेस ने उत्तराखण्ड मंे क्रांतिकारी कदम उठाया है। प्रदेश कांग्रेस की बागडोर करण महारा को सौंपी गयी है। माना जाता है कि उत्तराखण्ड की राजनीति मंे उनकी अच्छी पकड़ है, जबकि हरीश रावत जैसे नेता उत्तर प्रदेश से ज्यादा लगाव रखते थे। श्रीमती सोनिया गांधी ने विधायक दल का नेता यशपाल आर्य को बनाया है और उपनेता भुवन चन्द्र कापड़ी होंगे। इस बार विधानसभा चुनाव मंे कांग्रेस को उम्मीद थी कि उसे सरकार बनाने भर को विधायक मिल जाएंगे लेकिन पार्टी की उम्मीदों को झटका तब लगा जब हरीश रावत जैसे नेता हार गये और भाजपा सरकार का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पराजित होकर भी पार्टी के लिए भरपूर विधायक ले आया। लेकिन पार्टी को सरकार बनाने के लिए भरपूर विधायक मिले। इन हालात के लिए कांग्रेस नेतृत्व पार्टी नेताओं की कलह को जिम्मेदार मानती है। इसीलिए हरीश रावत और प्रीतम सिंह दोनों के गुटों को किनारे कर दिया गया और करण महारा को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दो-चार सांसद दिलाएंगे। करण महारा को निश्चित रूप से बहुत कमजोर और अन्तर्कलह से पीड़ित पार्टी मिली है लेकिन वे कांग्रेस मंे नई जान फूंकने की क्षमता रखते हैं। उनका लगभग 2 दशक का राजनीतिक सफर कामयाबी का सफर रहा है।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने बड़ा फैसला लेते हुए 49 वर्षीय करण महारा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह उत्तराखंड की सियासत में खासी पकड़ रखते हैं। इसके अलावा विधायक दल के नेता के रूप में यशपाल आर्य, तो विधायक दल के उपनेता के रूप में भुवन चंद कापड़ी की नियुक्ति की गई है। उत्तराखंड कांग्रेस में हुए बदलाव की जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दी थी। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने अध्यक्ष गणेश गोदियाल से इस्तीफा ले लिया था। फिलहाल कांग्रेस ने राज्य के लिए अपना नया अध्यक्ष चुन लिया है। करण महारा को इस बार विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने रानीखेत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के प्रमोद नैनवाल ने उनको हरा दिया। इससे पहले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में महारा ने भाजपा के अजय भट्ट को हराकर अपना दम दिखाया था। वहीं, खुद को राज्य का नया कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद करण महारा ने राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार जताया है। उन्होंने लिखा, ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष की जो जिम्मेदारी मुझे सौंपी है मैं पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निर्वहन करूंगा। भाजपा सरकार की विफलताओं एवं जनसरोकारों से जुड़े सभी मुद्दों को पूरी शक्ति के साथ समस्त कांग्रेस के साथियों को साथ लेकर उठाएंगे।’

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक, करण महारा की उम्र 49 साल है। वह बिजनेसमैन होने के साथ ग्रेजुएट हैं। इसके साथ उनके पास 2.6 करोड़ की संपत्ति है, जिसमें 48.7 लाख रुपये की चल संपत्ति और 2.1 करोड़ की अचल संपत्ति शामिल है। यही नहीं, उनके ऊपर कोई आपराधिक मामला नहीं है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी को खटीमा में पटखनी देने वाले भुवन चंद कापड़ी को कांग्रेस हाईकमान ने बड़ा इनाम दिया है। वह विधायक दल के उपनेता होंगे जबकि यशपाल आर्य को विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।

करण सिंह महारा को गुटबाजी के इतर संगठनात्मक मजबूती में जुटे रहने का तोहफा मिल गया। करीब दो दशक के अपने सियासी सफर में दो बार विधायक रह चुके महारा पार्टी में बड़ा पद लेने के लिए खेमेबाजी से दूर रहे। यही वजह रही कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए महारा के दावा पेश करने पर संगठन के क्षत्रपों ने आपत्ति के बजाय मौन सहमति दे दी। दरअसल, 2017 के विस चुनाव में तब नेता प्रतिपक्ष व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे अजय भट्ट को हराने के बाद से ही पार्टी में करण महारा का कद बढ़ गया था। उन्हें संगठन तेजतर्रार युवा नेता के रूप में महत्व देने लगा था। वहीं सदन में उपनेता प्रतिपक्ष के रूप में मित्र विपक्ष के इतर आक्रामक रुख व प्रश्नकाल में सरकार और उनके मंत्रियों की घेराबंदी की शैली भी महारा के लिए प्रदेश व शीर्ष नेतृत्व तक पहचान दिलाने में मददगार बनी। नतीजतन, अबकी विस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रमोद नैनवाल से 2480 मतों से हारे कांगे्रसी नेता करन माहरा को संगठन ने प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी देकर पार्टी को युवा बनाने का संकेत भी दिया है।

उत्तर प्रदेश सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे गोविंद सिंह महारा के पुत्र करण सिंह महारा को राजनीति विरासत में मिली है। उनके बड़े भाई पूरन सिंह माहरा भी रानीखेत सीट से विधायक थे। विद्यार्थी जीवन में पृथक पर्वतीय प्रदेश के पैरोकार, जल, जंगल व जमीन के लिए चल रहे संघर्ष के दौरान महारा राज्य गठन से पूर्व क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल में शामिल हो गए। उक्रांद के थिंक टैंक बिपिन त्रिपाठी उर्फ बिपिनदा की अगुआई में उन्होंने राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। वर्ष 2003 ताड़ीखेत के सबसे युवा ब्लॉक प्रमुख चुने जाने के बाद उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया गया। कांग्रेस के टिकट पर पहली बार 2007 का विधानसभा चुनाव लड़ा। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट से 259 मतों से जीते। 2012 में अजय भट्ट ने 78 मतों से हराया था। तब कांग्रेस संगठन ने माहरा को प्रदेश महामंत्री बनाया। 2017 में 4900 मतों से जीतकर महारा दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। उपनेता प्रतिपक्ष बनाए गए। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद श्रीमती गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष को इस्तीफा देने के लिए कहा था। इससे पहले कांग्रेस ने कर्नाटक और मणिपुर प्रदेश इकाइयों के लिए कई वरिष्ठ पदाधिकारियों की नियुक्ति की। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए 40 उपाध्यक्ष और 109 महासचिव नियुक्त किए गए हैं। डीके शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। राज्य में अगले साल के मध्य में विधानसभा चुनाव होना है। कांग्रेस ने मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए 14 महासचिव और 15 सचिव नियुक्त किए। पार्टी ने गत 30 मार्च को मणिपुर के अपने वरिष्ठ नेता केशम मेघचंद्र सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद एन लोकेन सिंह ने मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बदलाव किया गया। अब उत्तराखण्ड में महत्वपूर्ण बदलाव करके कांग्रेस ने एक नयी उम्मीद जगायी है।
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