संतों की रहस्यमयी बातें

संतों की रहस्यमयी बातें

(हिफी डेस्क-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
सनातन धर्म में ब्रह्ममुहूर्त में उठने की परम्परा क्यों है..? हमारे सिद्ध योगी ऋषि संत मुनियों ने ब्रह्म मुहूर्त में उठना श्रेष्ठतम बताया है। ऋषियों मुनियों के अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य बल विद्या बुद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का लाभ होता है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घंटे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिए। इस समय सोना अहितकर और शास्त्र निषिद्ध है... ब्रह्ममुहूर्त यानी अनुकूल समय रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात् प्रातः 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।
ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी अर्थात् ब्रह्म मुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करती है। ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य लक्ष्मी बुद्धि नीरोग की प्राप्ति होती है उसका मन शांत और तन पवित्र होता है...ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा उत्तम और पवित्र सूत्र है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है... शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है...।
वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता लक्ष्मी बुद्धि स्वास्थ्य आयु आदि की प्राप्ति होती है...
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है...
प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृहृानिधत्तो
तेन प्रजां वर्धयमान आयृ रायस्पोषेण सचेत सुवीरः
सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठाने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ सुखी ताकतवाला और दीर्घायु होता है....।
यद्य सूर उदितोऽर्यमा सुवाति सविता भगः
व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच एवं स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की उपासना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध एवं निर्बल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।
उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे
अगर सूरज उगन के बाद भी जो नहीं उठते या जागते तो उनका तेज और जीवन खत्म हो जाता है। अत सनातन धर्म के नियमानुसार हमें अपने पूर्वजों के बताये कर्मानुसार ही हमें अपनी जीवनशैली को जीवन में अपनाना चाहिए। इसी से हमारे जीवन की शांति और जीवन का असली आनन्द है.... आप सभी जीवन स्वस्थ और प्रसन्न रहे यही हमारी कामना है। अब तो आप समझ ही गये होंगे कि भारतीय मनीषियों ने प्रातःकाल जगने की शिक्षा क्यों दी है। (हिफी)
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