सागर जैसा दिल रखोगे
सागर जैसा दिल रखोगे, खारापन आ जायेगा,
ठहरा पानी सड जाता है, कैसे प्यास बुझायेगा?
नदियां मीठा जल लाकर, गांव खेत प्यास बुझाती,
नदियां गर सागर में पहुंची, वुजूद ही मिट जायेगा।
न तो मीठा जल होगा, न उसकी पहचान बचेगी,
अथाह सिन्धु में बिन्दु सी, बस वो गुमनाम रहेगी।
गांव गली खेतों तक बहना, भूली बिसरी बातें होंगी,
गंगा सा साहस किसमें,जो सागर की पहचान बनेगी?
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