अनकहा एहसास
मां के उदर में
मानव की वह
उथल-पुथल
मीठा सा एहसास
एक अनकहा एहसास
नन्ही किलकारियों
की वह गुंज
भरदे जीवन में वह
पुंज
आल्हादित करदे बाल स्पर्श से वह कुंज
अनकहा एहसास वह
सुंज
बालक का वह तुतलाता ठिठोलियों का मदमस्त
तराना
अठखेलियों से तंत्र
रचाना
बेसबब अनकहा एहसास कराना
यौवन की दहलीज पर
पहला कदम
रोमांच और अल्हड़ता
का संगम
लुभावना हो जाए हर
मौसम
व्याकुलता का
अनकहा एहसास
हरदम
तरुणाई व्यथित करे छल-छल
प्रेमी से मिलन की उन्मत्तता हर पल
जैसे निर्झर से बहता
जल कल-कल
विरह से भरा अनकहा एहसास प्रति पल
अधेड़ उम्र की अपनी
कहानी
जो स्पष्ट ना हो पाए
ज़ुबानी
जीवन निर्वाह की
परेशानी
उस अनकहे एहसास
की निशानी
वृद्धावस्था के ये विप्लव
होने ना दे पराभव
खालीपन का दे अनुभव
जर्जर अनकहा एहसास
निराभव
डॉ राखी गुप्ता
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