नीतीश को कोर्ट की नसीहत

नीतीश को कोर्ट की नसीहत

कोरोना महामारी के इस दूसरे दौर में लोगों की परेशानी अदालत से देखी नहीं जा रही है। सुप्रीमकोर्ट ने यहां तक कह दिया कि हम मूकदर्शक नहीं रह सकते। देश की सबसे बड़ी अदालत ने स्वतरू संग्यान लेकर केन्द्र सरकार को एक तरह से चेतावनी दी है। हाईकोर्ट भी राज्य सरकारों को बार बार आगाह करते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को चेतावनी दी थी कि आक्सीजन होने के बावजूद अस्पतालों तक क्यों नहीं पहुंच रही है। इसी तरह बिहार में बढ़ रहे करोना महामारी और चिकित्सा व्यवस्था की दुर्दशा पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने राज्य के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कम आपूर्ति पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जब केंद्र सरकार ने राज्य को 194 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का कोटा जारी किया तो उसे उसे अस्पतालों तक क्यों नहीं ले जाया जा रहा है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने सरकार को यह भी जता दिया कि उसके झूठे दावे स्वीकार नहीं  किये जा सकते। जनता और विपक्षी दलों को समझाने के लिए भले ही नीतीश कुमार की सरकार आंकड़ों का जादू दिखा रही हो लेकिन जनता और कोर्ट की नजर में कुछ भी छिपा नहीं है।
पटना हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं हो सकती तो अस्पतालों में बेड की संख्या कम कर दें। कोर्ट ने कहा कि बेड की संख्या कम कर दें तो ऑक्सीजन की कम ही जरूरत होगी। कोर्ट ने लगे हाथों राज्य सरकार के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर पर्याप्त संख्या में होने की बात कही गई थी। कोर्ट ने कोरोना से निबटने के लिए की जा रही कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अब बिहार के अस्पतालों का सरसरी तौर पर जायजा लें।
दानापुर के कोविड डेडिकेटेड हाइटेक अस्पताल के मालिक राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक दल से ताल्लुक रखने वाले नेता हैं। यहां पहले प्रबंधन ने बिना अनुमति के 25 के बजाय 40 मरीजों को भर्ती कर लिया, फिर ऑक्सीजन की कमी हुई तो मरीजों को बाहर निकालने लगे। हंगामा हुआ तो मामला खुला कि हाइटेक हॉस्पिटल ने डीएम से अनुमति लिये बिना ही ज्यादा मरीज भर्ती किए थे। प्रशासन ने निर्धारित मरीजों के लिए ही ऑक्सीजन की सप्लाई दी, जिससे अन्य मरीजों की जान सांसत में पड़ गई। इसी तरह पटना में 27 अप्रैल को एक निजी अस्पताल की बड़ी लापरवाही दिखी। भागवत नगर के ओम पाटलिपुत्रा अस्पताल में बगैर अनुमति के कोविड मरीजों को भर्ती किया गया, लेकिन जब हालात बेकाबू होने लगे तो ऑक्सीजन खत्म का बहाना कर मरीज को बाहर निकाल दिया। इस अस्पताल को जिला प्रशासन ने कोविड मरीजों को भर्ती लेने की अनुमति नहीं दी है। स्वास्थ्य विभाग के दावे जो हों, प्रशासकीय कुव्यवस्था की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। गत 26 अप्रैल को ही पीएमसीएच इमरजेंसी वार्ड के सामने एक महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। इस मरीज को कंकड़बाग के एक निजी अस्पताल ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर पीएमसीएच रेफर कर दिया था। इससे पता चलता है कि पटना हाईकोर्ट ने बाकायदा फैक्ट जुटाकर नीतीश कुमार  की सरकार को नसीहत दी है।  कोरोना काल में सबसे ज्यादा परेशानी तब आती है जब परिवार के सदस्य कोविड संक्रमण की चपेट में आते हैं। परिजन मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद बाहर इस इंतजार में रहते हैं कि अंदर उनका इलाज कैसे चल रहा है, कौन सी दवा दी जा रही है या उनके मरीज किस स्थिति में हैं। हर पल परिजन परेशान होते रहते हैं कि किसी तरह उन्हें ये पता चले कि आखिर उनके मरीज का क्या हाल है, ऐसे में दरभंगा जिला प्रशासन ने एक बेहतर पहल की शुरुआत की है। जिला प्रशासन ने एक ऐसा ऐप डेवलप किया है जिसमें मरीज का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर डालने मात्र से उसकी सारी रिपोर्ट सामने आ जाएगी। दरभंगा जिला के डीएम त्याग राजन ने कोविड बुलेटिन ऐप के नाम से एक ऐप की शुरुआत जिला में की है। इस ऐप को पूर्व सहायक समाहर्ता प्रियंका रानी के नेतृत्व में विकसित किया गया है तथा वर्तमान सहायक समाहर्ता अभिषेक पलासिया एवं आईटी सेल दरभंगा द्वारा इसे प्ले स्टोर पर भी डाला गया। कोविड बुलेटिन ऐप को एंड्राइड मोबाइल के प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इस ऐप को खोलने के लिए डीएमसीएच में भर्ती होने के दौरान मरीज के जिस मोबाइल नंबर का पंजीकरण कराया गया है , उस मोबाइल नंबर को डालना होगा। इस ऐप से (कोविड-19) कोरोना के मरीज के भर्ती होने के समय से लेकर अभी तक के स्वास्थ्य स्थिति की दैनिक जानकारी मिल सकेगी। ऐप लॉन्च करने के बाद डीएम त्याग राजन ने बताया कि डीएमसीएच में इलाजरत (कोविड-19) कोरोना के मरीजों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए कोविड बुलेटिन ऐप बनाया गया है। इस  कोविड बुलेटिन ऐप की शुरुआत हो जाने से अब डीएमसीएच में भर्ती मरीज के परिजन कहीं से भी अपने मरीज का हाल समय-समय पर जान सकते हैं। इससे ये फायदा होगा कि कोविड अस्पताल के बाहर भी भीड़ कम लगेगी और परिजनों को भी जो संक्रमण का खतरा बना रहता है वो न के बराबर होगा। इस प्रकार का ऐप देश भर में  बहुत काम आएगा। इसका प्रचार प्रसार होना चाहिए। नीतीश कुमार की सरकार इस प्रकार के काम भी नहीं कर रही है। सरकार राजनीतिक बयानबाजी में ही ज्यादा दिलचस्पी रखती है।
 सरकार के साथ विपक्ष भी राजनीति ज्यादा  कर रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को कोरोना से बचाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जमुई में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मांग की है। इसके साथ ही लोजपा सांसद ने सदर अस्पताल में लाए गए चार वेंटीलेटर के लिए ऑपरेटर और तकनीशियन को बहाल करने की भी मांग की है। चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार की घोषणा के मुताबिक पूरे देश में 551 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। बिहार में 15 जिलों में भी नए ऑक्सीजन के प्लांट लगाए जाएंगे। 
जमुई में भी ऑक्सीजन की कमी की शिकायत आ रही है जिस कारण वहां भी एक ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित किया जाए। लोजपा सांसद  को सिर्फ जमुई  ही नहीं पूरे बिहार के बारे में  आवाज उठानी चाहिए । कोरोना की दूसरी लहर से हर कोई परेशान है। किसी को बेड की समस्या है तो किसी को ऑक्सीजन चाहिए। हालांकि सरकार की ओर से लगातार प्रयास के बाद भी इसे जरूरत के अनुसार पूरा नहीं किया जा सका है। ऐसे में लोगों की मदद नहीं कर पाने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने कभी इतना असहाय और असमर्थ अनुभव नहीं किया है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा, इतना असहाय, असमर्थ कभी अनुभव नहीं किया। एक इंसान होने के नाते चाहकर भी गुहार लगा रहे, मदद मांग रहे, तड़प रहे सभी जरूरतमंदों की मदद नहीं कर पा रहा। अस्पतालों में फोन लगवाओ तो जवाब आता है- कुछ नहीं कर सकते सर! बेड नहीं है, इंजेक्शन नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है। कैसे मदद करें? नीतीश कुमार को इसका जवाब तो देना ही पडेगा। (हिफी)

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