तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
काव्य-कथा अभिराम कहाँ;
घर-घर का जो आदर्श बने-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
कहाँ तेरा रामाज्ञा प्रश्न-
रामलला नहछू काम कहाँ;
वैराग्य-संदीपनी वाला-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
कहाँ वह वरवै रामायण-
पार्वती मंगल गान कहाँ;
जानकी मंगल चाहतवाला-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
जीवनप्रियता, लोकजागरण-
अनुपम कला प्रमाण कहाँ;
रामचरितमानस रचनावाला-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
कृष्णगीतावली गीति ज्ञान-
रामगीतावली सुगान कहाँ;
अवधी-ब्रजभाषा जो निखारे-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
कवितावली व दोहावली-
विनयपत्रिका वंदन गान कहाँ;
रामायण घर-घर पहुँचावे-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
मानव-गरिमा प्रतिष्ठापन-
भाव-भाषा अभिज्ञान कहाँ;
भक्ति-काव्य मिलानेवाला-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
जीवन का विस्तार समेट ले-
काव्य का वह आयाम कहाँ;
जीवन का हर पहलू छू ले-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
सर्व समय और सबके लिए-
तेरा काव्य अति ललाम कहाँ;
समन्वय जो सबहित बिठाये-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
राम आज जो वहुपूजित हैं-
प्राण-पुरूष वह उद्दाम कहाँ;
मर्यादा जो सर्वहित बतावे-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
काव्य-भक्ति हो युक्तियुक्त-
श्रीरामकथा अभिराम कहाँ;
लोकवाणी जो घर-घर लाये-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
तुलसी गुण सब गुनते हैं-
तुलसी-काव्य दृष्टमान कहाँ;
जीवन का जो आदर्श दिखाये-
तुलसी तेरा वह राम कहाँ!
- योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे. पी. मिश्र)
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1 टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर, रोचक सामग्री
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