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अब सहन नहीं होता अन्याय

अब सहन नहीं होता अन्याय 

कवि चितरंजन 'चैनपुरा' 
देख अनीति अनाचार अब सहन नहीं होता अन्याय ।
मानवता के दुश्मन का अब अत्याचार सहा न जाय ।
कोरोना फैलाने वाले को अपराधी घोषित कर ।
धर्मनिरपेक्ष कहाकर उसको और नहीं सम्पोषित कर ।।

सहनशीलता को भी सबकुछ सहन नहीं अब हो सकता ।
आतताई को मानव कह कबतक कन्धे पर ढो सकता !
देर करो मत और अधिक धनु की डोरी तन जाने दे ।
फड़क रही हैं आज भुजाएँ अभी समर ठन जाने दे ।।

निर्णय लो तू हे प्रधान अब क्षण भर भी मत देर करो ।
सीख सऊदी अरब से अब मार के इनको ढेर करो ।।
चूक रहा है धैर्य आज कुकृत्य देख पाषाणों का ।
खौल रहा है खून राष्ट्र के हर जाँबाज इंसानों का ।।

जड़ के सम्मुख हाथ जोड़ अब मत कर अनुनय और विनय ।
उहापोह की तन्द्रा तोड़ो करो कठोर कड़ा निर्णय ।।
हर अतीत से सीखे अबतक आ पहुँचा अब नया समय ।
कर में ले जयमाल खड़ी अब बुला रही है तुमको जय ।।

इधर मौत और उधर विजय दोनों के बीच अड़े हैं हम ।
तुम संकेत करो कि युद्ध के उद्यत आज खड़े हैं हम ।।

कवि चितरंजन 'चैनपुरा' , जहानाबाद, बिहार, 804425

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