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एक कवि की चुनौती

एक कवि की चुनौती

बात-बात पर भारतीयता का मजाक और प्रकृति का उपहास उड़ाने वाले अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी बकते रहते हैं । आशा, विश्वास,उमंग,उत्साह और जीवन के प्रतीक प्रकाश स्वरूप दीपक जलाने पर नरेंद्र मोदी की आड़ में भारतीय सभ्यता,संस्कृति और इसकी परम्परा एवं प्रकृति पूजा की खिल्ली उड़ाने लगे ।
मुर्दों की कब्रों पर रोज करोड़ों मोमबत्तियाँ जलाने वाले मोदी की मोमबत्तियों से घृणा करने लगे । निजी स्वार्थ में देश बेचने वाले अइय्याश दीया और मोमबत्तियों के पैसों से पेट का हवाला देकर भूखों के भोजन का हिसाब करने लगे । कुछलोग तो महात्मागांधी का नाम लेने पर ही औचित्य उठाने लगे । ऐसे भूख-भूख और पेट-पेट चिल्लाने वाले कोई भूखे नहीं बल्कि भूखे लोगों को अपना शिकार बनाने वाले भुखड़े हैं ।।
      एक कवि की चुनौती है उन्हें  --------

भूख-भूख और पेट-पेट चिल्लाने वालों !
राष्ट्र-धर्म की चर्चा पर झल्लाने वालों !
भूखे पेट रहे गांधी तो मिली प्रतिष्ठा ।
मोदी को प्रधान बनाया सत्य और निष्ठा ।।

केवल भोजन भोग जानवर ही करता है ।
मानव वह जो मानव की खातिर मरता है ।।
छली प्रपंची अन्य राष्ट्र हो भले जुआरी ।
भारत अबतक मानवता का मात्र पुजारी ।।

नोन तेल लकड़ी में अँटके रहने वालों !
भूख-भूख चिल्लाकर भटके रहने वालों ।।
कुम्भकर्ण सम भोजन रावण जैसा भोगी ।
तू क्या जानो राम-लषण सा तापस योगी !

पेट से ऊपर हृदय और मानस होता है ।
पेटू पशु होता ज्ञानी मानव होता है ।।
राष्ट्र-द्रोह की बात करे वह तो दानव है ।
राष्ट्रभक्त हित मोदी एक महामानव है ।।

मोदी को प्रधानमंत्री कौन बनाया !
साधारण सी बात भी अबतक समझ न पाया ।।
मोदी का अपमान है भारतीयों को गाली ।
और उसी के साथ बजाते तुम भी ताली ?

भारत को अब भी तो भारतमाता मानो !
भारतीयों की ताकत अब भी तो पहचानो !
बात-बात पर तल्खी तीखे तेवर वालों !
अभिव्यक्ति की आजादी के पेशेवर कालों !

दुश्मन के हाथों का अब मत बनो खिलौना !
भारतीय कर देंगे तुमको मार बिछौना ।।
ईर्ष्या द्वेष कलह में मूंदे मत रह नैन ।
मानवता का मूल ही मानव का चितचैन ।।

कवि चितरंजन 'चैनपुरा' , जहानाबाद, बिहार, 804425

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